Sandip singh
रामायण में सभी राक्षसों का वध हुआ था लेकिन सूर्पनखा का वध नहीं हुआ था। उसकी नाक और कान काट कर छोड़ दिया गया था ।
वह कपडे से अपने चेहरे को छुपा कर रहती थी । रावन के मर जाने के बाद वह अपने पति के साथ शुक्राचार्य के पास गयी और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी ।
राक्षसों का वंश ख़त्म न हो इसलिए, शुक्राचार्य ने शिवजी की आराधना की ।
शिव जी ने अपना स्वरुप शिवलिंग शुक्राचार्य को दे कर कहा की जिस दिन कोई “वैष्णव” इस पर गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन राक्षसों का नाश हो जायेगा ।
उस आत्मलिंग को शुक्राचार्य ने वैष्णव मतलब हिन्दुओं से दूर रेगिस्तान में स्थापित किया जो आज अरब में “मक्का मदीना” में है ।
सूर्पनखा जो उस समय चेहरा ढक कर रहती थी वो परंपरा को उसके बच्चो नेपूरा निभाया। आज भी मुस्लिम औरतें चेहरा ढकी रहती हैं ।
सूर्पनखा के वंशज आज मुसलमान कहलाते हैं । क्युकी शुक्राचार्य ने इनको जीवन दान दिया इस लिए ये शुक्रवार को विशेष महत्त्व देते हैं ।
पूरी जानकारी तथ्यों पर आधारित सच है। जानिए इस्लाम केसे पैदा हुआ..
असल में इस्लाम कोई धर्म नहीं है एक मजहब है.. दिनचर्या है..
मजहब का मतलब अपने कबीलों के गिरोह को बढ़ाना..
यह बात सब जानते है कि मोहम्मदी मूलरूप से अरब वासी है ।
अरब देशो में सिर्फ रेगिस्तान पाया जाता है वहां जंगल नहीं है, पेड़ नहीं है. इसीलिए वहां मरने के बाद जलानेके लिए लकड़ी न होने के कारण ज़मीन में दफ़न कर दिया जाता था.
रेगिस्तान में हरीयाली नहीं होती.. एसे में रेगिस्तान में हरा चटक रंग देखकर इंसान चला आता जो की सूचक का काम करता था..
अरब देशो में लोग रेगिस्तान में तेज़ धुप में सफ़र करते थे, इसीलिए वहां के लोग सिर को ढकने के लिए टोपी पहनते थे. जिससे की लोग बीमार न पड़े।
अब रेगिस्तान में खेत तो नहीं थे, न फल, तो खाने के लिए वहा अनाज नहीं होता था. इसीलिए वहा के लोग जानवरों को काट कर खाते थे. और अपनी भूख मिटाने के लिए इसे क़ुर्बानी का नाम दिया गया.
रेगिस्तान में पानी की बहुत कमी रहती थी,इसीलिए लिंग (मुत्रमार्ग) साफ़ करने में पानी बर्बाद न हो जाये इसीलिए लोग खतना (अगला हिस्सा काट देना ) कराते थे.
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सब लोग एक ही कबिले के खानाबदोश होते थे इसलिए आपस में भाई बहन ही निकाह कर लेते थे|
रेगिस्तान में मिट्टी मिलती नहीं थी मुर्ती बनानेको , इसलिए मुर्ती पुजा नहीं करते थे| खानाबदोश थे ,
एक जगह से दुसरी जगह जाना पड़ता था इसलिए कम बर्तन रखते थे और एक थाली नें पांच लोग खाते थे|
कबीले की अधिक से अधिक संख्या बढ़े इसलिए हर एकको चार बीवी रखने की इज़ाजत दी ।
अब समझे इस्लाम कोई धर्म नहीं मात्र एक कबीला है.. और इसके नियम असल में इनकी दिनचर्या है|
अगर हर हिँदू माँ-बाप अपने बच्चों को बताए कि अजमेर दरगाह वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने किस तरह इस्लाम कबूल ना करने पर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मुस्लिम सैनिकों के बीच बलात्कार करने के लिए निर्वस्त्र करके फेँक दिया था और फिर किस तरह पृथ्वीराज चौहान की वीर पुत्रियों ने आत्मघाती बनकर मोइनुद्दीन चिश्ती को 72 हूरों के पास भेजा था तो शायद ही कोई हिँदू उस मुल्ले की कब्र पर माथा पटकने जाए।
“अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को ९० लाख हिंदुओं को इस्लाम में लाने का गौरव प्राप्त है मोइनुद्दीन चिश्ती ने ही मोहम्मद गोरी को भारत लूटने के लिए उकसाया और आमंत्रित किया था” – (सन्दर्भ – उर्दू अखबार “पाक एक्सप्रेस, न्यूयार्क १४ मई २०१२).
अरबी इस्लाम और देव मूर्तिपूजक हिंदुत्व का संबंध अकाट्य है ☞ अरब , इस्लाम और मुसलमान नहीं झुठला सकते
हिंदू धर्म ग्रंथों में भृगु ऋषि तथा हिरण्यकशिपु की पुत्री दिव्या के पुत्र जो असुराचार्य (असुरों के गुरू) शुक्राचार्य नाम से प्रसिद्ध हैं उन्हें दानवों के गुरू के रूप जाना
शुक्राचार्य अपनी पुत्री अरूजा को अपने अपने आश्रम के निकटस्थ सरोवर समीप रूकने का कहते हुऐ
शुक्राचार्य के पौत्र का नाम और्व / अर्व या हर्ब था, जिसका अपभ्रंश होते होते अरब हो गया,सो अरब देशों का भारत , महर्षि भृगु के पुत्र शुक्राचार्य तथा उनके पौत्र और्व से एतिहासिक सम्बन्ध प्रमाणित हैं , यहाँ तक की “ हिस्ट्री ऑफ़ पर्शिया “ के लेखक साईक्स का मत हैं की अरब का नाम महर्षि भृगु के पौत्र और्व के ही नाम पर पड़ा जो विकृत होकर “अरब” हो गया !
भारत के उत्तर – पश्चिम में इलावर्त था , जहा दैत्य और दानव बसते थे , इस इलावर्त में एशियाई रूस का दक्षिणी पश्चिमी भाग , ईरान का पूर्वी भाग तथा गिलगित का निकटवर्ती क्षेत्र सम्मलित था, आदित्यों का निवास स्थान देवलोक भारत के उत्तर – पूर्व में स्थित हिमालयी क्षेत्रो में रहा था, बेबीलोन की प्राचीन गुफाओं में पुरातात्विक खोजों तक में जो भित्ति चित्र मिले हैं , उनमें भगवान विष्णु को हिरण्यकश्यप के भाई हिरण्याक्ष से युद्ध करते हुए उत्कीर्ण किया गया हैं, उस युग में अरब एक बड़ा व्यापारिक केंद्र रहा था , इसी कारण देवों , दानवों और दैत्यों में इलावर्त के विभाजन को लेकर 12 बार युद्ध “देवासुर संग्राम” हुए!
देवताअों के राजा इन्द्र ने अपनी पुत्री जयंती का विवाह शुक्र के साथ इसी विचार से किया था की शुक्र उनके ( देवों ) के पक्षधर बन जायेंगे , लेकिन शुक्र दैत्यों के गुरु बने रहे, यहाँ तक कि जब दैत्यराज बलि ने शुक्राचार्य का कहना न माना तो वो उसे त्याग कर अपने पौत्र और्व के पास अरब में आ गए और दस वर्ष तक रहे , साइक्स ने अपने इतिहास ग्रन्थ “ हिस्ट्री ऑफ़ पर्शिया “ में लिखा हैं की ‘ शुक्राचार्य लिव्ड टेन इयर्स इन अरब ‘ !!
अरब में शुक्राचार्य का इतना मान सम्मान हुआ की आज जिसे ‘काबा’ कहते हैं वह वस्तुतः ‘काव्य शुक्र’ (शुक्राचार्य) के सम्मान में निर्मित उनके अराध्य भगवान् शिव का ही मंदिर हैं (शुक्राचार्य, कवि ऋषि के वंशजों की अथर्वन शाखा के भार्गव ऋषि थे तथा श्रीमद्देवी भागवत के अनुसार इनकी माँ काव्यमाता थीं,अत: काव्य शुक्र, काव्या की धारणा को पूरा आधार भी मिलता है )
हाँ, कालांतर में काव्या नाम विकृत होकर ‘काबा’ प्रचलित हुआ, अरबी भाषा में ‘शुक्र’ का अर्थ ‘बड़ा’ अर्थात ‘जुम्मा’ इसी कारण किया गया और इसी से ‘जुम्मा’ (शुक्रवार) को मुसलमान पवित्र दिन मानते हैं ,
“बृहस्पति देवानां पुरोहित आसीत्, उशना काव्योsसुराणाम्“
– जैमिनिय ब्रा. (01-125)
अर्थात बृहस्पति देवों के पुरोहित थे और उशना काव्य ( शुक्राचार्य ) असुरों के
प्राचीन अरबी काव्य संग्रह ग्रन्थ ‘सेअरुल – ओकुल’ के 257 वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद से 2300 वर्ष पूर्व एवं ईसा मसीह से 1800 वर्ष पूर्व पैदा हुए ‘लबी-बिन-ए-अरव्तब-बिन-ए-तुरफा’ ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता में भारत भूमि एवं वेदों को जो सम्मान दिया हैं , वह निम्नलिखित प्रकार से हैं –
“अया मुबारेकल अरज मुशैये नोंहा मिनार हिंदे
व् अरादकल्लाह मज्जोनज्जे जिकरतुन ||1||
वह लवज्जलीयतुन ऐनाने सह्बी अरवे अतुन जिकरा
वहाजेही योनज्जेलुर्ररसूल मिनल हिंद्तुन ||2||
यकूलूनुल्लाहः या अह्लल अरज आलमीन फुल्ल्हुम
फत्तेबेऊ जिकरतुल वेद हुक्कुन मालन योनज्वेलतुन ||3||
वहोबा आलमुस्साम वल यजुरमिनल्लाहेतन्जीलन
फऐ नोमा या अरवीयो मुत्तवअनयोवसीरीयोनजातुन ||4||
जईसनैन हुमारिक अतर नासेहीन का-अ-खुबातुन
व असनात अलाऊढन व होवा मश-ए-रतुन ||5||
अर्थात (भावार्थ) – हे भारत की पुण्यभूमि (मिनार हिंदे ) तू धन्य हैं , क्योकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझको चुना हैं ||1||
वह ईश्वर का ज्ञान प्रकाश , जो चार प्रकार स्तंभों के सदृश्य सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करता हैं , यह भारत वर्ष (हिंद तुन) में ऋषियों द्वारा चार रूप में प्रकट हुआ ||2||
और परमात्मा समस्त संसार के मनुष्यों को आज्ञा देता हैं की वेद , जो मेरे ज्ञान हैं ,इनके अनुसार आचरण करो ||3||
वह ज्ञान के भण्डार साम व यजुर हैं , जो ईश्वर ने प्रदान किये हैं , इसलिए, हे मेरे भाईयो , इनको मानो क्योंकि ये हमें मोक्ष का मार्ग बताते हैं ||4||
और दो उनमे से ऋक , अतर ( ऋग्वेद ,अथर्ववेद ) जो हमें भातृत्व की शिक्षा देते हैं और जो इनकी शरण में आ गया , वह कभी अन्धकार को प्राप्त नहीं होता हैं||5||
कहते हैं कि इस्लाम मजहब के प्रवर्तक मोहम्मद स्वयं भी वैदिक परिवार में हिन्दू के रूप में जन्मे थे और जब उन्होंने अपने प्रकृतिपूजक (वैदिक/सनातनी?),, मूर्तिपूजक परिवार की परम्परा और वंश से सम्बन्ध तोड़ने और स्वयं को पैगम्बर घोषित करना निश्चित किया तब संयुक्त हिन्दू परिवार छिन्न भिन्न हो गया और काबा में स्थित महाकाय शिवलिंग (संगे अस्वद) और काबा के रक्षार्थ हुए युद्ध में पैगम्बर मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम को भी अपने प्राण गवाने पड़े !!
तत्कालीन समय में उमर-बिन-ए-हश्शाम (जिन्हे ‘अबू हाकम’ या “अबू जाही” भी कहते हैं) का अरब में एवं केंद्र काबा (मक्का) में इतना अधिक सम्मान होता था कि सम्पूर्ण अरबी समाज, जो की भगवान् शिव के भक्त थे एवं वेदों के उत्सुक गायक तथा हिन्दू देवी देवताओ के अनन्य उपासक थे , उन्हें अबुल हाकम अर्थात ‘ज्ञान का पिता’ कहते थे ,, बाद में मोहम्मद के नए सम्प्रदाय इस्लाम ने उन्हें इर्ष्या वश अबुल जिहाल ‘अज्ञान का पिता’ कहकर उनकी निंदा भी की .. !!
प्राचीन अरबों ने ‘सिंध को सिंध ही कहा’ तथा भारतवर्ष के अन्य प्रदेशो को हिन्द कहना, लिखना ही निश्चित किया सिंध से हिन्द होने की बात बहुत ही अवैज्ञानिक हैं , बिना किसी आधार के है क्योंकि सिंध किसी तरह अपभ्रंश हो कर हिन्द हो ही नहीं सकता !!
इस्लाम मत के प्रवर्तक मोहम्मद के पैदा होने से 2300 वर्ष पूर्व यानी लगभग 1800 ईसवी पूर्व भी अरब में हिन्द एवं हिन्दू शब्द का व्यवहार ज्यों का त्यों आज ही के अर्थ में प्रयुक्त होता था ,, अरब की प्राचीन समृद्ध संस्कृति वैदिक थी तथा उस समय ज्ञान विज्ञान , कला कौशल , धर्म संस्कृति आदि में भारत (हिन्द) के साथ उसके प्रगाढ़ सम्बन्ध थे , हिन्द नाम अरबों को इतना पसंद रहा है कि उन्होंने हिन्द देश के नाम पर अपनी स्त्रियों एवं बच्चो के नाम भी हिन्द पर रखे , उदाहरणार्थ हजरत मोहम्मद के चाचा अबू तालिब की बड़ी लड़की का नाम “उम्मे हानी बिन्त अबू तालिब” था जिसे लोग “फकीत” और “हिन्दा” भी कहते थे,,इस्लाम की किताबों और प्राचीन अरबी किस्सों तक में हिन्द और हिन्दा नाम बहुत ही प्रचलित रहा है।
अरबी काव्य संग्रह ग्रन्थ ‘सेअरुल-ओकुल’ के 253 वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद के चाचा ‘उमर-बिन-ए-हश्शाम’ की कविता हैं जिसमे उन्होंने हिंदे यौमन एवं गबुल हिन्दू का प्रयोग बड़े आदर से किया हैं !!
प्राचीन अरबी में Dushara – दुशारा यानि पहाडों का देवता कहा जाता था क्योंकि मोहम्मद साहब तक और इस्लाम के उदय से लेकर फैलने तक के प्रारंभिक समय तक तो अरब भी indigenous polytheistic beliefs अर्थात् स्वदेशी बहुदेववादी विश्वासों – देशज बहुदेववादी विश्वासों को मानने वाली सभ्यता का केंद्र ही रहा है और यही अकाट्य – शाश्वत सत्य है जिसे तो इस्लाम और सऊदी भी नहीं झुठला सकता!
HINDU RELIGION IS THE ONLY RELIGION WHERE GOD IS WORSHIPPED IN FEMININE FORM FROM VEDIC DAYS TILL TODAY.
All pic. Down
1.) मध्यपूर्व अरब देशों का देव ‘अस्तारते’ तथा सिंधु घाटी में मिले देव ‘इन्द्र अपने वाहन ऐरावत’ पर
2.) अरब – यहूदी मिथकों की प्रमुख देवी ‘लिलिथ’ शेर सवारी पर, और हम हिंदुओं में दुर्गा मां शेर सवार हैं।
3.) अरबी सुमेरियन सभ्यता की देवी ‘Inana – इनाना’ की भी शेर सवारी थी, जबकि अरब में शेर कभी नहीं हुऐ!
4.) गौ पूजा प्राचीन मिस्र में , फराऊन / फेराओ भी गौ पूजक थे.
5.) सीरीयाई मूल का अरब देवता Qudshu (Kadesh) / कूदशू या कादेश भी शेर सवारी करता था!
यहाँ एक रोचक ऐतिहासिक व प्रमाणित तथ्य का ज्यों का त्यों बगैर अनुवाद उल्लेख करना चाहूँगा –
“Tutankhamen (1333 BC), the most famous boy king of Egypt was shown standing on a tiger. This is clearly due to Hindu influence. His great grandparents married two Hindu girls from Syria. Mittanni king Dasaratha (Tushratta) who ruled Syria Turkey regions gave his daughters in marriage to an Egyptian king. We have the evidence of Vedic Gods for the first time in Bogazkoy inscriptions (please read my posts on oldest Sanskrit inscriptions). Seti, another king who ruled after Tutankhamen, was also shown on a tiger. Kings were considered Gods in Egypt.”
“Bull (Nandhi) was the vahana of Hindu god Shiva. Indra was compared to bull in hundreds of places in the Hindu Vedas. A god known as Adad, holding Indra’s thunderbolt, was shown riding a bull in Akkadian sculptures.”
सो मित्रों हम हिंदू सिर्फ 730 बंदरों के मारे हैं और कचरापोथी के सताये हुऐ भी, अन्यथा दुनिया जिसे हिंदू धर्म कहती है उसे अपने ही मूलदेश में “कानूनन जीवनपद्धति” कतई नहीं कहा जाता, पर क्या करें बेइज्जत जलालत और सहिष्णुता कीमत मांगती है, चुकाते रहो!
(संकलन, संपादन हेतु कई उपलब्ध जानकारियों का समावेश है, सिर्फ मेरे मन की या मेरी लिखी कहानी नहीं है)
–जय श्री राम
-वंदे मातरम
-भारत माता की जय
Sandip singh
Sandip894@gmail.com
I have read somewhere that one Rishi patni got the vardan that her sons will rule for 1400 years but they will enjoy the power of 7 yug. Have you heard about it, if so please let me know the details. Thanks
ReplyDeleteI have read somewhere that one Rishi patni got the vardan that her sons will rule for 1400 years but they will enjoy the power of 7 yug. Have you heard about it, if so please let me know the details. Thanks
ReplyDeleteरोचक जानकारी के लिए साधुवाद
ReplyDeleteसूर्पनखा का पति तो रावण के हाथों मारे गया था फिर वो कैसे रावण के मरने के बाद शुक्राचार्य के पास अपने पति के साथ जा सकती है
ReplyDeleteShi bhai
Deleteभाई सुपर्णखा त्रेता युग में थी उसके बाद द्वापर आया । तो त्रेता से सीधे मुस्लिम कैसे बन गए
Deleteकिसने कहा के सिधे इस्लाम आया उसके बाद हजारो वर्षो बाद इस्लाम आया तबतक वैदिक लोग ही थे वहा
Deleteभाई आप के बिचरो से मै सहमत हूं
Deleteजय श्री राम
NYC
ReplyDeleteAap galat jankari dekar Dharmik k sath sath Mansik bhavnao ko v ahat kr rahe hh. Me cyber crime me apk post ki complain karoga.
ReplyDeleteHow you say that this is wrong information if you have any clue or another history you can post it
DeleteYes... You are right on these rubbish Fact.... All these types of msg is wrong... But they can't understand that... This one is published by (सन्दर्भ - उर्दू अखबार "पाक एक्सप्रेस, न्यूयार्क १४ मई २०१२).Is this information is given by any veda?.... No... This one is fake... And from these kind of lines can hurt.... Particular religion... They are trying to make.. Jealously among us ... Who had made this kind of msg. And as we know the the relationship among hindu and muslim..
Deleteye surpanakha ka maka madina story kis kitab me likha he?
ReplyDeleteशुक्राचार्य का शिवजी के शिश्न से बाहर निकलने के कारण ही sperm को शुक्राणु नाम मिला है।
ReplyDeleteSabhi Jiv Jantu Ling Se Hi Paida Huye Hain,
DeleteMathes Me------(+,-)
Science Me------(X,Y)
Computer Science me (0,1)
Shiv Aur Shakti Ka Sanyog Hai....
Jay Shri Ram. You Are Correct .
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteTop but i think it's may be fact
ReplyDeleteजय जय सियाराम
I don't believe you , kyonki mai usi baat KO manta hu jo humarey ved aur purano me likhi gai hai aapki kahi kisi bhi baat ka pramaan agar kisi ved ya puraan me hai to bataiye. Warna jabardasti apni ye mangadhat kahaani logon pe mat thopiye.
ReplyDeleteIsilye kyuki ved puran islam ke janm se pehle likhe gaye hai...
Deleteबकवास है ये।
ReplyDeleteअछछा लगा जय श्री राम
ReplyDeleteअछछा लगा जय श्री राम
ReplyDeleteजानकारी अच्छी लगी
ReplyDeleteजानकारी अच्छी लगी
ReplyDeleteFrom where(From which book) have you got this information Sir? Please mention and post.
ReplyDeleteमुझे इससे जुड़े पुराने इतिहास की ग्रंथो वेदों या कोई भी किताब ह उसका नाम बताओ जिसे में लेकर इसका पूर्ण अध्ययन कर इसपे विश्वास कर सकू मुझे यह जानना ह यह सब जिस पुस्तके में लिखा ह सब बताए कौनसी पुस्तक में कहा लिखा ह
ReplyDeleteRigh mai v janna chahta hu kon si kitab me likhi huai hai
DeleteShukracharya jivani pustak mai likha hai
DeleteDeepaksankhla1989@gmail.com
ReplyDeleteपे रिप्लाई करे
सूर्पनखा के पति का क्या नाम था
ReplyDeleteविद्युतजिह्वा
Deleteबहुत ही कंफ्यूज करने वाली, रोचक जानकारी है।सेअरुल-ओकुल किताब नेट पर तो नशीन मिल रही
ReplyDeleteरामायण के ये रहस्य जानकर चौंक जाएंगे आप 👉 RAMAYAN KE RAHSYA
ReplyDeleteशुक्राचार्य किस धर्म को अनुयायी थे।
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteउत्तम जानकारी
ReplyDeleteद्वापर युग में भी भगवान कृष्ण यवनों से लड़ते थे।
ReplyDeleteGood write
ReplyDeletebilkul sahi baat ...madinamein shivling ki baat sab jante hain.. main to inko rakshas hi manta hun
ReplyDeleteMai bhi tum ko janwar manta hu .. kisike kuch manne se kuch nai hota sach sach he hota hai chahe kuch bhi socho
Delete🕉️🔱🚩⚔️🗡️🚩🌎✴️हर⚡️हर🔥महादेव🚩
ReplyDeleteआपके विचारों से सहमत हूं लेकिन इस्लाम गाय क्यों खाता है जिस पर हमें गहरा विचार करना होगा इसमें कुछ रहस्य नजर आ रहा है !
Hjkjs
ReplyDeleteWowww wat a bullshit information
ReplyDeleteKoi source nai reference nai how can you say soo much nonsence
Must a mentally sick crazy person jo mann mai aaya likh diya kahani
Dumb are the people who believes him blindly, stop being so uneducated & believe this creep it's just a story made by some sick people to spread hatred
इस सच्चाई को प्रकट करने के लिये साधुवाद।
ReplyDeleteJay Siri ram
ReplyDeleteTotally rubbish information .... False information ... Matlab kuchh bhi
ReplyDeleteJai sri ram
ReplyDeleteRight Jay shree Ram
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteRight Jay shree Mahakal
ReplyDeleteDhanyavad sir Aapka ab muje uss din ka intazar hai jo vaisnav jakar uss shivaling par ganga jal chadayega in paapiyonse poora vishva ko bachayega ye ishwar vaisnva ko vo takat de jai Sri ram
ReplyDeleteरावण की बहण सुपर्णाखा थी ऊसका जहा नाक काटा था वह जगह पंचवटी थी नासिक नाम रखा हे,नाक काटने के वजेसे आज नासिक के नाम से जानते हे.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है, और ये सब कुछ प्रणामित है, 1. काबा के अंदर के पत्थर पर पानी अलाउड नही है
ReplyDelete2. शुक्राचार्य की कहानी सच है
3. सुपर्ण खा में खा है खा से खान हो गया
4. सब शिव का ही खेल है, एक दिन शिवजी का माथा घूमेगा और सभी खान पानी में बह जायेंगे।
5. जान ने k लिए ऋग्वेद में अध्याय 6 pege संख्या 652 से 711तक पढ़े सब मिलेगा।
6. भारतवंशी हो तो थोड़ा जानो और फिर मानो।
और मान के चुप मत बैठो कुछ करो
फिर द्वापरयुग में मुस्लिम क्यों नहीं थे?
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