डियर रोहित....
एक विश्वविद्यालय में आप शोध करने गए थे..आपकी हिम्मत और हौसले को सलाम करता हूँ कि आप कैम्पस में शोध करने के अलावा बीफ फेस्टिवल का आयोजन भी करवा सकते थे.. पढ़ने के बजाय हास्टल में उस हत्यारे याकूब मेंमन को शहिद बता श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर सकते थे।
स्वामी विवेकानंद को फेक इंटेलेक्चुअल बताकर उनका फेसबुक पर सार्वजनिक मजाक उड़ा सकते थे.....तो इतने कायर क्यों हो गए मित्र कि आप राष्ट्रवाद और ब्राह्मणवाद से उकताकर आत्महत्या कर बैठे....?
माना की आप वहां पढ़ने गए थे और राजनीति करने लगे...जो आपका अधिकार है...आपकी राजनीति में ब्राह्मणवादी राष्ट्रवादी हस्तक्षेप करने लगे जो उनके अनुसार उनका भी अधिकार है..... लेकिन मित्र..आपके अनुसार जब संघी गुंडे ,सांसद ,वीसी,पीएम आपकी हत्या करने को उतावले थे...चाक़ू लेकर दौड़ा रहे थे.
तो आप सड़कों पर उतरते...हॉस्टल में कैंडल मार्च निकालते..बीफ फेस्टिवल के बजाय विरोध में कोई सभा या सम्मलेन या धरना आयोजित करते...इस देश में दलितों की आर्थिक सामाजिक सुरक्षा के लिए तमाम संगठन हैं..हजारो नेता हैं....आपके पुरोधा अम्बेडकर ने आपकी रक्षा सुरक्षा के लिए तमान कानून बनाएं हैं..आपको हर जगह जबरदस्त आरक्षण मिला हुआ है।. आपकी सामाजिक सुरक्षा और अधिकार के लिए सोशल मीडिया में मण्डल साहब जैसे हजारो क्रांतिकारी हैं जो एसी की कूलिंग बढ़ाकर जबरदस्त विमर्श करते हैं..इसके अलावा देश में हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट है..आप इन सबसे लड़ते तो एक बार.....इस तरह पीठ पीडियर रोहित....
एक विश्वविद्यालय में आप शोध करने गए थे..आपकी हिम्मत और हौसले को सलाम करता हूँ कि आप कैम्पस में शोध करने के अलावा बीफ फेस्टिवल का आयोजन भी करवा सकते थे.. पढ़ने के बजाय हास्टल में उस हत्यारे याकूब मेंमन को शहिद बता श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर सकते थे।
स्वामी विवेकानंद को फेक इंटेलेक्चुअल बताकर उनका फेसबुक पर सार्वजनिक मजाक उड़ा सकते थे.....तो इतने कायर क्यों हो गए मित्र कि आप राष्ट्रवाद और ब्राह्मणवाद से उकताकर आत्महत्या कर बैठे....?
माना की आप वहां पढ़ने गए थे और राजनीति करने लगे...जो आपका अधिकार है...आपकी राजनीति में ब्राह्मणवादी राष्ट्रवादी हस्तक्षेप करने लगे जो उनके अनुसार उनका भी अधिकार है..... लेकिन मित्र..आपके अनुसार जब संघी गुंडे ,सांसद ,वीसी,पीएम आपकी हत्या करने को उतावले थे...चाक़ू लेकर दौड़ा रहे थे.
तो आप सड़कों पर उतरते...हॉस्टल में कैंडल मार्च निकालते..बीफ फेस्टिवल के बजाय विरोध में कोई सभा या सम्मलेन या धरना आयोजित करते...इस देश में दलितों की आर्थिक सामाजिक सुरक्षा के लिए तमाम संगठन हैं..हजारो नेता हैं....आपके पुरोधा अम्बेडकर ने आपकी रक्षा सुरक्षा के लिए तमान कानून बनाएं हैं..आपको हर जगह जबरदस्त आरक्षण मिला हुआ है।. आपकी सामाजिक सुरक्षा और अधिकार के लिए सोशल मीडिया में मण्डल साहब जैसे हजारो क्रांतिकारी हैं जो एसी की कूलिंग बढ़ाकर जबरदस्त विमर्श करते हैं..इसके अलावा देश में हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट है..आप इन सबसे लड़ते तो एक बार.....इस तरह पीठ पीछे कर देना कहाँ की बहादुरी थी....इस तरह हार के आत्महत्या करके शहिद कहलाना होता तो सब अपने को शहीद घोषित करवा लेते...
मित्र आप तो चले गए लेकिन यहाँ सब आपके मौत पर स्टेटस चमका रहे हैं।
बौद्धिक चूतियापा करते हुए आपको कुछ चन्दशेखर आजाद बता रहे हैं...
लेकिन आप भी जानते हैं कि आजाद के पास अब लड़ने के रस्ते न थे..आपके पास बहुत सारा विकल्प खुला था..
खैर अब तो आपकी मौत पर कुछ दिन राजनितिक रोटियां सेंकी जाएँगी...न्यूज चैनलों में काफी के साथ गर्मागर्म बहस होगी...आपके अपने कम्युनिस्ट विद्वान दलित विमर्श पर धारदार लेख लिखकर हजारों का चेक भुनायेंगे लेकिन रोहित भाई सब जैसे का तैसे ही रहेगा।
रोहित भाई..आपसे बहुत हमदर्दी है मुझे...दुःख भी कि आपने सही न किया...आप मासूम थे.आप जैसे हजारो छात्र हर साल आत्महत्या करते हैं. लेकिन ये कहाँ की बहादुरी है।
बस इतना जानिएगा की आपके हत्यारे आपके ये बौद्धिक आका ही हैं...जिन्होंने अपनी राजनीति बचाने के लिए आप जैसे पढ़ने गए छात्र का ब्रेनवाश किया और आप को इस अवसाद में ढकेला।
आप यकीन करिये रोहित भाई की स्वस्थ चीत्त कभी बीफ फेस्टिवल, याकूब की श्रद्धांजलि सभा और विवेकानंद का मजाक नहीं उड़ा सकता है....वो सहज रहता है हर परिस्थिति में..अफ़सोस की आपने अपने अम्बेडकर से कुछ न सीखा....
आप जानते नहीं कि अपनी जड़ों से उखड़ते ही आदमी मानसिक रुप से अस्वस्थ हो जाता है।
अगर हमें चारो तरफ निराशा घृणा और द्वेष दिख रहा है तो कुछ चेतना के स्तर पर समस्या है।
मित्र ये संसार आइना है...हमें वही दिखता है जो हम हैं..
एक बार फिर आपकी मृतक आत्मा की शांति की कामना करता हूँ। |ॐ|
#justAskingInindianLowछे कर देना कहाँ की बहादुरी थी....इस तरह हार के आत्महत्या करके शहिद कहलाना होता तो सब अपने को शहीद घोषित करवा लेते...
मित्र आप तो चले गए लेकिन यहाँ सब आपके मौत पर स्टेटस चमका रहे हैं।
बौद्धिक चूतियापा करते हुए आपको कुछ चन्दशेखर आजाद बता रहे हैं...
लेकिन आप भी जानते हैं कि आजाद के पास अब लड़ने के रस्ते न थे..आपके पास बहुत सारा विकल्प खुला था..
खैर अब तो आपकी मौत पर कुछ दिन राजनितिक रोटियां सेंकी जाएँगी...न्यूज चैनलों में काफी के साथ गर्मागर्म बहस होगी...आपके अपने कम्युनिस्ट विद्वान दलित विमर्श पर धारदार लेख लिखकर हजारों का चेक भुनायेंगे लेकिन रोहित भाई सब जैसे का तैसे ही रहेगा।
रोहित भाई..आपसे बहुत हमदर्दी है मुझे...दुःख भी कि आपने सही न किया...आप मासूम थे.आप जैसे हजारो छात्र हर साल आत्महत्या करते हैं. लेकिन ये कहाँ की बहादुरी है।
बस इतना जानिएगा की आपके हत्यारे आपके ये बौद्धिक आका ही हैं...जिन्होंने अपनी राजनीति बचाने के लिए आप जैसे पढ़ने गए छात्र का ब्रेनवाश किया और आप को इस अवसाद में ढकेला।
आप यकीन करिये रोहित भाई की स्वस्थ चीत्त कभी बीफ फेस्टिवल, याकूब की श्रद्धांजलि सभा और विवेकानंद का मजाक नहीं उड़ा सकता है....वो सहज रहता है हर परिस्थिति में..अफ़सोस की आपने अपने अम्बेडकर से कुछ न सीखा....
आप जानते नहीं कि अपनी जड़ों से उखड़ते ही आदमी मानसिक रुप से अस्वस्थ हो जाता है।
अगर हमें चारो तरफ निराशा घृणा और द्वेष दिख रहा है तो कुछ चेतना के स्तर पर समस्या है।
मित्र ये संसार आइना है...हमें वही दिखता है जो हम हैं..
एक बार फिर आपकी मृतक आत्मा की शांति की कामना करता हूँ। |ॐ|
रामायण के रहस्य 👉 RAMAYAN KE RAHSYA
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