Wednesday, 20 January 2016

शहादत या कायरता

डियर रोहित....

एक विश्वविद्यालय में आप शोध करने गए थे..आपकी हिम्मत और हौसले को सलाम करता हूँ कि आप कैम्पस में शोध करने के अलावा बीफ फेस्टिवल का आयोजन भी करवा सकते थे.. पढ़ने के बजाय हास्टल में उस हत्यारे याकूब मेंमन को शहिद बता श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर सकते थे।

स्वामी विवेकानंद को फेक इंटेलेक्चुअल बताकर उनका फेसबुक पर सार्वजनिक मजाक उड़ा सकते थे.....तो इतने कायर क्यों हो गए मित्र कि आप राष्ट्रवाद और ब्राह्मणवाद से उकताकर आत्महत्या कर बैठे....? 

माना की आप वहां पढ़ने गए थे और राजनीति करने लगे...जो आपका अधिकार है...आपकी राजनीति में ब्राह्मणवादी राष्ट्रवादी हस्तक्षेप करने लगे जो उनके अनुसार उनका भी अधिकार है..... लेकिन मित्र..आपके अनुसार जब संघी गुंडे ,सांसद ,वीसी,पीएम आपकी हत्या करने को उतावले थे...चाक़ू लेकर दौड़ा रहे थे.

तो आप सड़कों पर उतरते...हॉस्टल में कैंडल मार्च निकालते..बीफ फेस्टिवल के बजाय विरोध में कोई सभा या सम्मलेन या धरना आयोजित करते...इस देश में दलितों की आर्थिक सामाजिक सुरक्षा के लिए तमाम संगठन हैं..हजारो नेता हैं....आपके पुरोधा अम्बेडकर ने आपकी रक्षा सुरक्षा के लिए तमान कानून बनाएं हैं..आपको हर जगह जबरदस्त आरक्षण मिला हुआ है।. आपकी सामाजिक सुरक्षा और अधिकार के लिए सोशल मीडिया में मण्डल साहब जैसे हजारो क्रांतिकारी हैं जो एसी की कूलिंग बढ़ाकर जबरदस्त विमर्श करते हैं..इसके अलावा देश में हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट है..आप इन सबसे लड़ते तो एक बार.....इस तरह पीठ पीडियर रोहित....


एक विश्वविद्यालय में आप शोध करने गए थे..आपकी हिम्मत और हौसले को सलाम करता हूँ कि आप कैम्पस में शोध करने के अलावा बीफ फेस्टिवल का आयोजन भी करवा सकते थे.. पढ़ने के बजाय हास्टल में उस हत्यारे याकूब मेंमन को शहिद बता श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर सकते थे।


स्वामी विवेकानंद को फेक इंटेलेक्चुअल बताकर उनका फेसबुक पर सार्वजनिक मजाक उड़ा सकते थे.....तो इतने कायर क्यों हो गए मित्र कि आप राष्ट्रवाद और ब्राह्मणवाद से उकताकर आत्महत्या कर बैठे....? 


माना की आप वहां पढ़ने गए थे और राजनीति करने लगे...जो आपका अधिकार है...आपकी राजनीति में ब्राह्मणवादी राष्ट्रवादी हस्तक्षेप करने लगे जो उनके अनुसार उनका भी अधिकार है..... लेकिन मित्र..आपके अनुसार जब संघी गुंडे ,सांसद ,वीसी,पीएम आपकी हत्या करने को उतावले थे...चाक़ू लेकर दौड़ा रहे थे.


तो आप सड़कों पर उतरते...हॉस्टल में कैंडल मार्च निकालते..बीफ फेस्टिवल के बजाय विरोध में कोई सभा या सम्मलेन या धरना आयोजित करते...इस देश में दलितों की आर्थिक सामाजिक सुरक्षा के लिए तमाम संगठन हैं..हजारो नेता हैं....आपके पुरोधा अम्बेडकर ने आपकी रक्षा सुरक्षा के लिए तमान कानून बनाएं हैं..आपको हर जगह जबरदस्त आरक्षण मिला हुआ है।. आपकी सामाजिक सुरक्षा और अधिकार के लिए सोशल मीडिया में मण्डल साहब जैसे हजारो क्रांतिकारी हैं जो एसी की कूलिंग बढ़ाकर जबरदस्त विमर्श करते हैं..इसके अलावा देश में हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट है..आप इन सबसे लड़ते तो एक बार.....इस तरह पीठ पीछे कर देना कहाँ की बहादुरी थी....इस तरह हार के आत्महत्या करके शहिद कहलाना होता तो सब अपने को शहीद घोषित करवा लेते... 


मित्र आप तो चले गए लेकिन यहाँ सब आपके मौत पर स्टेटस चमका रहे हैं।


बौद्धिक चूतियापा करते हुए आपको कुछ चन्दशेखर आजाद बता रहे हैं...


लेकिन आप भी जानते हैं कि आजाद के पास अब लड़ने के रस्ते न थे..आपके पास बहुत सारा विकल्प खुला था..


खैर अब तो आपकी मौत पर कुछ दिन राजनितिक रोटियां सेंकी जाएँगी...न्यूज चैनलों में काफी के साथ गर्मागर्म बहस होगी...आपके अपने कम्युनिस्ट विद्वान दलित विमर्श पर धारदार लेख लिखकर हजारों का चेक भुनायेंगे लेकिन रोहित भाई सब जैसे का तैसे ही रहेगा।


रोहित भाई..आपसे बहुत हमदर्दी है मुझे...दुःख भी कि आपने सही न किया...आप मासूम थे.आप जैसे हजारो छात्र हर साल आत्महत्या करते हैं. लेकिन ये कहाँ की बहादुरी है। 


बस इतना जानिएगा की आपके हत्यारे आपके ये बौद्धिक आका ही हैं...जिन्होंने अपनी राजनीति बचाने के लिए आप जैसे पढ़ने गए छात्र का ब्रेनवाश किया और आप को इस अवसाद में ढकेला। 


आप यकीन करिये रोहित भाई की स्वस्थ चीत्त कभी बीफ फेस्टिवल, याकूब की श्रद्धांजलि सभा और विवेकानंद का मजाक नहीं उड़ा सकता है....वो सहज रहता है हर परिस्थिति में..अफ़सोस की आपने अपने अम्बेडकर से कुछ न सीखा....


आप जानते नहीं कि अपनी जड़ों से उखड़ते ही आदमी मानसिक रुप से अस्वस्थ हो जाता है।


अगर हमें चारो तरफ निराशा घृणा और द्वेष दिख रहा है तो कुछ चेतना के स्तर पर समस्या है।


मित्र ये संसार आइना है...हमें वही दिखता है जो हम हैं..


एक बार फिर आपकी मृतक आत्मा की शांति की कामना करता हूँ। |ॐ| 

 

#justAskingInindianLowछे कर देना कहाँ की बहादुरी थी....इस तरह हार के आत्महत्या करके शहिद कहलाना होता तो सब अपने को शहीद घोषित करवा लेते... 

मित्र आप तो चले गए लेकिन यहाँ सब आपके मौत पर स्टेटस चमका रहे हैं।

बौद्धिक चूतियापा करते हुए आपको कुछ चन्दशेखर आजाद बता रहे हैं...

लेकिन आप भी जानते हैं कि आजाद के पास अब लड़ने के रस्ते न थे..आपके पास बहुत सारा विकल्प खुला था..

खैर अब तो आपकी मौत पर कुछ दिन राजनितिक रोटियां सेंकी जाएँगी...न्यूज चैनलों में काफी के साथ गर्मागर्म बहस होगी...आपके अपने कम्युनिस्ट विद्वान दलित विमर्श पर धारदार लेख लिखकर हजारों का चेक भुनायेंगे लेकिन रोहित भाई सब जैसे का तैसे ही रहेगा।

रोहित भाई..आपसे बहुत हमदर्दी है मुझे...दुःख भी कि आपने सही न किया...आप मासूम थे.आप जैसे हजारो छात्र हर साल आत्महत्या करते हैं. लेकिन ये कहाँ की बहादुरी है। 

बस इतना जानिएगा की आपके हत्यारे आपके ये बौद्धिक आका ही हैं...जिन्होंने अपनी राजनीति बचाने के लिए आप जैसे पढ़ने गए छात्र का ब्रेनवाश किया और आप को इस अवसाद में ढकेला। 

आप यकीन करिये रोहित भाई की स्वस्थ चीत्त कभी बीफ फेस्टिवल, याकूब की श्रद्धांजलि सभा और विवेकानंद का मजाक नहीं उड़ा सकता है....वो सहज रहता है हर परिस्थिति में..अफ़सोस की आपने अपने अम्बेडकर से कुछ न सीखा....

आप जानते नहीं कि अपनी जड़ों से उखड़ते ही आदमी मानसिक रुप से अस्वस्थ हो जाता है।

अगर हमें चारो तरफ निराशा घृणा और द्वेष दिख रहा है तो कुछ चेतना के स्तर पर समस्या है।

मित्र ये संसार आइना है...हमें वही दिखता है जो हम हैं..

एक बार फिर आपकी मृतक आत्मा की शांति की कामना करता हूँ। |ॐ|

Tuesday, 19 January 2016

गौ माता

Sandip krishna :गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी।
1 गौ माता जीस जगह खडी रहकर आनंद पुर्वक चैन की सांस लेती है। वहा वास्तु दोष समाप्त हो        जाते है।
2 गौ माता मे तैतीस कोटी देवी देवताओं का वास है।
3 गौ माता जीस जगह खुशी से रभांने से देवी देवता पुष्प वर्षा करते है।
4 गौ माता के गले मे घंटी जरूर बांधे गाय के गले मे घंटी बजने से गौ आरती होती है।
5 जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पुजा करता है। उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है।
6 गौ माता के खुर्र मे नागदेवता का वास होता है। जहा गौ माता विचरण करती है। उस जगह साप बिच्छू नही आते है।
7 गौ माता के गोबर मे लक्ष्मी जी का वास होता है
8 गौ माता के मुत्र मे गंगाजी का वास होता है।
9 गौ माता के गोबर से बने उपलो का रोजाना घर दुकान मंदिर परिसरो पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता सकारात्मक ऊर्जा मिलती है
10 गौ माता के ऐक आख मे सुर्य व दुसरी आख मे चन्द्र देव का वास होता है।
11 गाय इस धरती पर साक्षात देवता है।
12 गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है। मनोकामना पूर्ण करने वाली है।
13 गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगो की क्षमता को कम करता है।
14 गौ माता की पुछ मे हनुमानजी का वास होता है। कीसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पुछ से झाडा लगाने से नजर उतर जाती है।
15 गौ माता की पीठ पर ऐक उभरा हुआ कुबंड होता है। उस कुबंड मे सुर्य केतु नाडी होती है। रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबंड हाथ फेरने से रोगो का नाश होता है
16 गौ माता का दुध अमृत है facebook_sandip
17 गौ माता धर्म की धुरी है।
गौ माता के बिना धर्म कि कलपना नही कि जा सकती
18 गौ माता जगत जननी है।
19 गौ माता पृथ्वी का रूप है
20 गौ माता सर्वो देवमयी सर्वोवेदमयी है। गौ माता के बिना देवो वेदो की पुजा अधुरी है।
21 ऐक गौ माता को चारा खिलाने से तैतीस कोटी देवीदेवताओ को भोग लग जाता है।
22 गौ माता से ही मनुष्यो के गौत्र की स्थापना हुई है।
23 गौ माता चौदह रत्नो मे ऐक रत्न है।
24 गौ माता साक्षात मा भवानी का रूप है।
25 गौ माता के पंचगव्य के बिना पुजा पाठ हवन सफल नही होते है।
26 गौ माता के दुध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारो रोगो की दवा है। इसके सेवन से असाध्य रोग मीट जाते है
27 गौ माता को घर पर रखकर सेवा करने वाला सुखी आध्यात्मिक जीवन जीता है। उनकी अकाल मृत्यु नही होती है।
28 तन मन धन से जो मनुष्य गौ सेवा करता है। वो वैतरणी गौ माता की पुछ पकड कर पार करता है। उन्हें गौलोकधाम मे वास मीलता है
28 गौ माता के गोबर से इधंन तैयार होता है।
29 गौ माता सभी देवी देवताओं मनुष्यो की आराध्य है इष्ट देव है।
30 साकेत स्वर्ग इन्द्र लोक से भी उच्चा गौ लोक धाम है।
31 गौ माता के बिना संसार की रचना अधुरी है।
32 गौ माता मे दिव्य शक्तिया होने से संसार का संतुलन बना रहता है।
33 गाय माता के गौवंशो से भुमी को जोत कर की गई खेती सर्वश्रेष्ट खेती होती है
34 गौ माता जीवन भर दुध पिलाने वाली माता है। गौ माता को जननी से भी उच्चा दर्जा दिया गया है।
35 जंहा गौ माता निवास करती है। वह स्थान तिर्थ धाम बन जाता है।
36 गौ माता कि सेवा परिक्रमा करने से सभी तिर्थो के पुण्यो का लाभ मीलता है।
37 जीस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली मे गुड को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है।
38 गौ माता के चारो चरणो के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है।
39 गाय माता आनंद पुर्वक सासें लेती है । छोडती है। वहा से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है। सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। वातावरण शुद्ध होता है
40 गौ माता के गर्भ से ही महान विद्वान धर्म रक्षक गौ कर्ण जी महाराज पैदा हुए थे
41 गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लीये है।
42 जब गौ माता बछडे को जन्म देती तब पहला दुध बांज स्त्री को पिलाने से उनका बांजपन मीट जाता है।
43 स्वस्थ गौ माता का गौ मुत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपडे मे छानकर सेवन करने से सारे रोग मीट जाते है
44 गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जीसे भी देखती है। उनके उपर गौकृपा हो जाती है
45 गाय इस संसार का प्राण है।
46 काली गाय की पुजा करने से नोह ग्रह शांत रहते है। जो मन पुर्वक धर्म के साथ गौ पुजन करता है। उनको शत्रु दोषो से छुटकारा मीलता है।
47 गाय धार्मिक आर्थिक व सांस्कृतिक आध्यात्मिक दृष्टि से सर्वगुण संपन्न है।
48 गाय ऐक चलता फीरता मंदिर है। हमारे सनातन धर्म में तैतिस कोटी देवी देवता है।
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Monday, 18 January 2016

खेल पेट्रोल का

                                               pic credit google








Sohan krishna singh    राष्ट्रीय राज्यवार ख़बरें विदेश पॉलिटिक्स स्पेशल रिपोर्ट चर्चा में पाठको के लेख अजब
   गज़ब मनोरंजन  Home  राष्ट्रीय पानी से भी सस्‍ता हुआ कच्‍चा तेल, पेट्रोल 32 और डीजल 85 पैसे सस्‍ता 

January 15, 2016     पेट्रोल और डीजल एक बार फिर सस्‍ता हुआ है. इस बार पेट्रोल 32 पैसे और डीजल 85 पैसे 

प्रति लीटर सस्‍ता किया गया है. नई कीमतें शुक्रवार रात 12 बजे के बाद से लागू होंगी. दिल्ली में पेट्रोल की 

कीमत अब 59.03 प्रति लीटर होंगी.   इससे पहले 31 दिसंबर को आईओसी ने पेट्रोल की कीमतों में 63 पैसे और 

डीजल की कीमतों में 1.06 रुपए की कटौती की थी. बताया जा रहा है कि अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की 

कीमतों में लगातार गिरावट के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम कम किए गए हैं. फिलहाल अंतरराष्‍ट्रीय बाजार 

में कच्‍चे तेल की कीमत प्रति बैरल (159 लीटर) 33.32 डॉलर है. 2016 में अब तक कच्चे तेल की कीमत 11 

प्रतिशत घटकर पिछले 11 साल के निचले स्तर पर आ गई है.  घरेलू बाजार में इसके दाम 2,200 रुपए प्रति 

बैरल रह गए हैं. यानी कच्चा तेल करीब 13.80 रुपए प्रति लीटर रह गया है, जबकि देश में मिनरल वॉटर की 

औसत कीमत 20 रुपए प्रति लीटर है.  साल 2015 में दिल्ली में पेट्रोल की कीमतों में अब तक कुल 1.98 रुपए की कटौती हुई है.

Wednesday, 13 January 2016

,पुरस्कार वापसी तब,अब क्यू नही

दो घटनाएं, मालदा में लाखों मुसलमानों की भीड़ का उपद्रव करना, दूसरा, पंजाब के पठानकोट में फिदायीन हमला. इन दोनों घटनाओं से देश सहमा हुआ है. कायदे से देश को पठानकोट की घटना के वक्त एकजुट होकर सामने आना चाहिए था. लेकिन, मालदा के बाद बिहार के पूर्णिया में भी शुक्रवार को एक नया उपद्रव हो गया.

मालदा और पूर्णिया में लाखों मुसलमानों ने बीते दिनों उपद्रव किया. पुलिस स्टेशन पर हमला बोला. जमकर तोड़फोड़ की आखिरकार, क्यों? सड़कों पर आकर बवाल करने वालों की मांग है कि कमलेश तिवारी नाम के उस शख्स को फांसी दो जिसने उनके नबी की शान में गुस्ताखी की. ये मांग तब हो रही है जब तिवारी को रासुका लगाकर जेल में डाल दिया गया है. उस पर कई कठोर धाराएं लगा दी गई हैं. मालूम नहीं कि फांसी की मांग करने वालों को ये पता है कि नहीं कि तिवारी ने जो अपराध किया है, उसकी सजा फांसी नहीं हो सकती. सबसे चिंता की बात ये है कि तिवारी की गिरफ्तारी को लेकर ये जोर-आजमाइश तब हो रही है, जब सारा देश और देश की सेनाएं पठानकोट में फिदायीन हमले से अभी-अभी बाहर निकला है.

इसके साथ ही यह भी तो गौर फरमाने योग्य है कि कोलकाता के एक मदरसे के हेडमास्टर काजी मासूम अख्तर को सिर्फ इसलिए बेरहमी से पीटा जाता है, क्योंकि; उसने अपने छात्रों को राष्ट्रगान सिखाने की कोशिश की थी. अब ये सवाल अहम हो गया है कि क्या भारत में राष्ट्रगान गाना समाज के एक वर्ग के लिए जरूरी नहीं है? और एक लंबी डरावनी चुप्पी सामने आ रही है उन कथित लेखकों की तरफ से जो असहिष्णुता के सवाल पर बीते दिनों अपने पुरस्कार लौटा चुके हैं.

यकीन नहीं हो रहा कि जो लेखक बीफ विवाद के चलते देश में बढ़ती असहिष्णुता को देख रहे थे, उन्हें उस बेचारे मदरसे के हेडमास्टर के साथ कोई सहानुभूति नहीं है. सरकारी सम्मानों-पुरस्कारों को वापस करने वाले उदय प्रकाश, नयनतारा सहगल, सराह जोसेफ, अशोक वाजपेयी वगैरह से पूछा जाना चाहिए कि क्या उन्हें मदरसे के अध्यापक के राष्ट्रगान सिखाने पर जूतों की पिटाई खाने में कुछ भी गलत या असहिष्णुता नजर नहीं आ रही है? जाहिर है, ये अब नहीं बोलेंगे. ये तो एक एजेंडे के तहत पुरस्कार वापस कर रहे थे. अब भले ही दुनिया जाए जहन्नुम में.

अफसोस इस बात से भी हो रहा है कि मालदा और पूर्णिया की घटनाओं की मुस्लिम उलेमाओं की और मुस्लिम मिडिल क्लास की तरफ से कोई कठोर प्रतिक्रिया नहीं आ रही है. मानो उनकी तरफ से इन दोनों घटनाओं के गुनहगारों को क्लीन चिट मिल गई हो. अब तो आमिर खान और शाहरुख़ खान भी चुप हैं. अभी मालदा और पूर्णिया के साथ-साथ और कौन-कौन से शहर जुड़ेंगे, इसका भी पता चल जाएगा. लेकिन, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ये घटनाएं थम जाएंगी.

बड़ा सवाल ये है कि राष्ट्रगान गाना अपवित्र क्यों हो गया? काजी मासूम अख्तर को क्लीन शेव रहना पसंद है. वे शर्ट और ट्राउजर पहनते हैं. उनके पहनावे की तरह ही उनकी सोच भी आधुनिक है. वह मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के पक्षधर हैं और साथ ही साथ कोलकाता स्थित तालापुकुर आरा हाई मदरसा के बच्चों को गणतंत्र दिवस के लिए राष्ट्रगान सिखा रहे थे. अख्तर की यही सोच कट्टरपंथियों को रास नहीं आई और उन्होंने उनके ऊपर हमला बोल दिया. इतना ही नहीं अख्तर के खिलाफ फतवा भी जारी कर दिया कि वह मदरसा तो क्या उस इलाके में भी कदम न रखें. फतवा जारी करने वालों का कहना है कि मदरसे में राष्ट्रगान गाना अपवित्र है और तिरंगा फहराना गैर-इस्लामिक. इतनी बड़ी घटनाओं के बाद देश के स्वयंभू सेक्युलरवादियों से लेकर मानवाधिकारवादियों की फौज लगता है कि किसी अज्ञातवास में चली गई है. वे सामने आने से बच रही हैं. उन्हें इन घटनाओं में कुछ भी गलत नजर नहीं आ रहा.

बेशक कोलकाता, मालदा और पूर्णिया की शर्मनाक घटनाओं को अंजाम देने वाले मुसलमानों के सच्चे हिमायती तो नहीं हो सकते. ये तो महज इस्लाम का नाम खराब कर रहे हैं. मुसलमानों को सोचना चाहिए और शिद्दत से सोचना चाहिए कि सुधारवादी और प्रगतिशील कदमों का हमेशा उनके यहां ही विरोध क्यों होता है? तीन तलाक जैसी बुराई को आज तक क्यों खत्म नहीं किया जा सका? वे शिक्षा में इतने पिछड़े क्यों हैं? धर्म के नाम पर जरा-जरा सी बातों पर उन्हें क्यों भड़का लिया जाता है? कहीं लड़कियों के फ़ुटबॉल खेलने के खिलाफ फतवा क्यों जारी हो जाता है? मुसलमान शिक्षा
के सवाल पर एकत्र क्यों नहीं होते? ये औरतों को खुदमुख्तार बनाने के मसले पर कदम क्यों नहीं